मन की गेहराईया 

अपने मन की गेहराईयों से बहार निकाल के तो देखो।

मन के द्वबार् खोल के देखो ।

इन आसमानों में बहुत से रंग है ।

कभी मन की आखो से देखो ।

8 thoughts on “मन की गेहराईया 

  1. सच है सोनिया जी। अगर जज्बा और जज्बात हो तो कुछ भी असंभव नहीं।

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